इसी तरह सुख दुःख बाटते हुए चलती है बाखली एसा नही है कि बाखली में लडाई कभी नही होती खेत कि मेड, गाय कि गौसाला, सब्जी का खेत किसी भी सवाल पर रंडी पात्तर हो सकती है।
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मेरे पास एक बाग़ भी है जो मैंने कभी नहीं लगाया एक सब्जी का खेत भी है जिसमें मैंने कभी फावड़ा नहीं चलाया मेरे पुरखों के द्वारा सृजित रंग ही है जो तुम मेरे बग़ीचे में खेलकर निकलते हुए किरणों में देखते हो मेरे पुरखों द्वारा जलाए गए दीये का उजाला ही है जो तुम मेरे घर-आँगन में बिखरे देखते हो उन्हीं के लय, उन्हीं की ध्वनि, उन्हीं के बोल तुम मेरी कविताओं में सुनते हो और मेरे पुरखों द्वारा बनाया गया देश ही है जहाँ की यात्रा में तुम बुद्ध और हिमाल के पास खड़े होते हो।